/lotpot/media/media_files/2025/11/14/mazak-aisa-ho-jo-khushi-de-bachchon-ki-dayaluta-kisan-ki-muskan-2025-11-14-12-39-18.jpg)
जब बच्चों ने बिखेरी किसान के चेहरे पर मुस्कान | सीख भरी हिंदी कहानी!:- कुछ बच्चे खेतों में काम कर रहे एक किसान के जूते पेड़ के नीचे देखते हैं। शुरुआत में वे जूतों में कंकड़ भरकर मज़ाक करने की सोचते हैं, लेकिन रवि नामक एक बच्चा सुझाव देता है कि जूतों में सिक्के डाल दें ताकि किसान खुश हो। वे ऐसा ही करते हैं और छिपकर देखते हैं। किसान जूतों में पैसे देखकर बहुत हैरान और खुश होता है। वह भगवान का शुक्रिया अदा करता है कि अब वह अपने बच्चों को खाना खिला पाएगा। बच्चों को किसान की खुशी देखकर बहुत आनंद मिलता है।
एक सुनहरी धूप वाले दिन, कुछ बच्चे खेतों के किनारे-किनारे खेलते हुए जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि एक पेड़ के नीचे, एक किसान के पुराने और मिट्टी लगे जूते पड़े हुए थे। किसान थोड़ी दूर अपने खेत में काम कर रहा था और इन बच्चों को देख नहीं पा रहा था।
बच्चों को शरारत सूझी। उनमें से एक ने फुसफुसाते हुए कहा, "देखो, वह अंकल अपने जूतों को छोड़कर कितने दूर काम कर रहे हैं। क्यों न हम इन जूतों में कंकड़ भर दें? जब वह पहनेंगे, तो उनके पैरों में चुभेंगे। सोचो, उन्हें समझ ही नहीं आएगा कि यह किसने किया! यह नज़ारा कितना मज़ेदार होगा!"
बाकी बच्चे भी हाँ में हाँ मिलाने लगे। "हाँ, हाँ! यह तो बहुत मज़ा आएगा!" सब हँसने लगे।
लेकिन उनमें से एक बच्चा, जिसका नाम रवि था, वह थोड़ा गंभीर था। उसने कहा, "नहीं दोस्तों, यह ठीक नहीं है। कंकड़ चुभने से उनके पैर ज़ख्मी हो सकते हैं। अंकल तो इतनी मेहनत कर रहे हैं। हमें उन्हें तकलीफ़ नहीं देनी चाहिए।"
रवि ने कुछ देर सोचा और फिर उसकी आँखों में एक नई चमक आ गई। "एक काम करते हैं! हम उनके जूतों में कुछ सिक्के डाल देते हैं! तब देखेंगे कि उनके चेहरे पर कैसी खुशी आती है! सोचो, जब उन्हें अचानक पैसे मिलेंगे तो वह कितने हैरान और खुश होंगे!"
रवि की सलाह पर बाकी बच्चे भी मान गए। "हाँ! यह हुई न अच्छी बात!" सबने एक साथ कहा। उन्होंने आपस में अपनी-अपनी जेबें टटोलीं और थोड़े-थोड़े पैसे निकालकर जमा किए। फिर उन्होंने धीरे से उन सिक्कों को किसान के जूतों में डाल दिया।
पैसे डालने के बाद, सब बच्चे पास के एक बड़े पेड़ के पीछे छिप गए। उनकी साँसें थमी हुई थीं, वे जानना चाहते थे कि किसान की क्या प्रतिक्रिया होगी।
कुछ देर बाद, किसान अपना काम ख़त्म करके जूतों के पास आया। उसने थककर अपने जूतों को उठाया। जैसे ही उसने जूते पहने, उसे जूतों के अंदर कुछ महसूस हुआ। वह हैरान रह गया! उसने जूते उतारे और देखा कि अंदर सिक्के पड़े हुए थे।
किसान की आँखें खुली की खुली रह गईं। उसने अपनी आँखों को रगड़ा, उसे लगा शायद वह सपना देख रहा है। उसने कई बार ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ लगाई, "भाई! यह पैसे किसके हैं? कोई है यहाँ?"
कोई जवाब न आने पर, किसान ने आसमान की ओर देखा। उसकी आँखों में आँसू थे, पर चेहरे पर एक मीठी सी मुस्कान थी। उसने हाथ जोड़कर कहा, "हे भगवान! आपका बहुत-बहुत शुक्रिया! आपने मेरा इंतज़ाम कर दिया। इन पैसों से मैं अपने बच्चों के लिए आज आराम से खाना खिला पाऊँगा। आपका लाख-लाख धन्यवाद!"
पेड़ के पीछे छिपे बच्चे किसान की खुशी देखकर बहुत खुश हुए। उनकी आँखों में भी खुशी के आँसू आ गए। उन्हें महसूस हुआ कि दूसरों को खुशी देने में कितना ज़्यादा मज़ा आता है, उस मज़ाक से कहीं ज़्यादा जो किसी को तकलीफ़ देता है। रवि ने अपने दोस्तों की ओर देखा और सबने एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराया। उन्हें अपने किए पर गर्व था।
उस दिन के बाद से, उन बच्चों ने एक बात ठान ली। उन्होंने फैसला किया कि वे हमेशा ऐसा मज़ाक करेंगे, या ऐसे काम करेंगे जिससे दूसरों के चेहरे पर खुशी आए। उन्होंने एक छोटा सा 'खुशी बाँटो' क्लब बनाया। वे अक्सर गाँव में घूमते रहते और देखते कि कौन ज़रूरतमंद है। कभी वे किसी बूढ़ी दादी की मदद कर देते, कभी किसी गरीब बच्चे को अपनी पुरानी खिलौने दे देते, और कभी किसी को कुछ खाने को दे देते।
एक दिन, वही किसान बच्चों को फिर से खेतों के पास मिला। वह उन्हें पहचान गया और मुस्कुराकर बोला, "तुम ही हो न, वो बच्चे जिन्होंने उस दिन मेरे जूतों में पैसे डाले थे?"
बच्चे थोड़ा शरमा गए, लेकिन रवि ने हिम्मत करके कहा, "हाँ अंकल, वो हम ही थे।"
किसान ने उन्हें गले लगा लिया और कहा, "बच्चों, तुमने उस दिन सिर्फ पैसे नहीं दिए थे, तुमने मुझे उम्मीद दी थी। तुमने मुझे सिखाया कि दुनिया में अच्छे लोग भी हैं। तुम्हारी उस छोटी सी हरकत ने मेरी और मेरे बच्चों की बहुत मदद की थी।"
किसान ने उन्हें अपने खेत से ताज़ी-ताज़ी सब्जियाँ दीं और कहा, "यह तुम्हारे इनाम के तौर पर नहीं, बल्कि मेरे प्यार के तौर पर है। हमेशा ऐसे ही दयालु और अच्छे बने रहना।"
बच्चे किसान की बातों से बहुत प्रेरित हुए। उन्हें समझ में आ गया था कि सच्ची खुशी और असली इनाम, दूसरों के चेहरों पर आने वाली मुस्कान में ही छिपा होता है।
सीख (Moral of the Story):
इस कहानी से हमें यह अनमोल सीख मिलती है: मज़ाक ऐसा करें, जिससे सामने वाले को कष्ट न पहुँचे और उसके चेहरे पर खुशी दिखाई दे। दूसरों को दुख पहुँचाने वाले मज़ाक से ज़्यादा, उन्हें खुशी और मदद देने में असली आनंद और संतुष्टि मिलती है। दयालुता और परोपकार के छोटे-छोटे कार्य भी किसी के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं और हमें सच्ची खुशी का अनुभव करा सकते हैं।
और पढ़ें :
अकबर बीरबल : मूर्ख चोर का पर्दाफाश
प्रेरक कहानी: कौओं की गिनती का रहस्य
प्रेरक कथा- राजा की चतुराई और ब्राह्मण की जीत
बीरबल की चतुराई: अंडे की मस्ती भरी कहानी
Tags: हिंदी कहानी, बच्चों की कहानी, प्रेरणादायक, दयालुता, किसान, मज़ाक, खुशी, मदद, नैतिक कहानी, अच्छी आदतें, motivational story for kids, bachon ki hindi motivational story | bachon ki motivational story | Hindi Motivational Stories | Hindi Motivational Story | hindi motivational story for kids | Kids Hindi Motivational Stories | Kids Hindi Motivational Story | kids motivational stories | kids motivational stories in hindi | kids motivational story | laws of motion | moral motivational story for kids | motivational fun fact | motivational fun factप् | motivational kids stories | motivational kids stories in hindi | Motivational Stories | motivational stories for kids | motivational stories in hindi
